भेंट मुलाकात जगन्नाथपुर : मुख्यमंत्री ने दुबारा मांग कर पताल चटनी खाया, उन्होंने कहा सील – लोढ़हा में पिसे चटनी के मजा अबड़ आथे,बने लागत हे अउ दे तो…..

बालोद।मुख्यमंत्री ने कहा – सील -लोढ़हा में पिसे चटनी के मजा अबड़ आथे , मुख्यमंत्री ने कहा, घर के खाना घर के होथे, ये ह अपन सेहद बर बने होथे, शरीर ल बने रख थे, जल्दी खाना ह घलो पचथे, कोनो नुकसान नहीं करय,

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज बालोद विधानसभा क्षेत्र में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दरमियान ग्राम जगन्नाथपुर में श्री भागीराम साहू के घर भोजन करने पहुंचे ।

यहां वे गांव की मनमोहक स्वागत से अभिभूत हुए । मुख्यमंत्री ने कहा ऐसा अपनापन और प्यार-दुलार से उन्हें ऊर्जा मिलती है ।
मुख्यमंत्री श्री बघेल जब यहां भोजन करने पहुचे , तब घर की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ की मेहमाननवाजी की परंपरागत अनुसार स्वागत किया।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने यहां खपराछानी वाले घर मे जमीन में बैठकर छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद लिया।

मुख्यमंत्री को परसा पान के दोना में खाना परोसा गया। श्री भागीराम की पत्नी श्रीमती चंपेश्वरी ने मुख्यमंत्री को भोजन परोसा।
मुख्यमंत्री को अमारी पटवा भाजी, जिमी कांदा बड़ी, कोलियारी भाजी, करमता भाजी, लाल भाजी, चौलाई भाजी, गुलगुला भजिया, उड़द दाल बड़ा, खेक्सी की सब्जी, पूरी आईरसा, ठेठरी, खुरमी, चौसेला , टमाटर चटनी परोसा गया। छत्तीसगढ़ी देशी व्यंजनों का मुख्यमंत्री ने पेटभर खाया। स्वादिष्ट भोजन को खाते हुए उन्होंने कहा बने लागत हे, अउ दे तो ओ चटनी,

मुख्यमंत्री ने दुबारा मांग कर पताल चटनी खाया। उन्होंने कहा सील – लोढ़हा में पिसे चटनी के मजा अबड़ आथे।

मुख्यमंत्री ने कहा घर के खाना घर के होथे । ये ह हमर सेहद बर बने होथे। शरीर ल बने रखथे। जल्दी खाना ह पच थे । कोनो नुकसान नहीं करय। मुख्यमंत्री ने इन व्यंजनों को खाकर अपने बचपन को याद कर गये।

इस अवसर पर श्री भागीराम की पत्नी ने कहा हमन टी. व्ही. में देखे रहेन, आज हमर घर आय हो। अइसन मौका अउ नई मिलय। हमन ल अइसन लागत हेवे जैसे कोनो देवता ह हमर घर आय हेवे। मुख्यमंत्री होके अतक सहज हव, हमन ल अबड़ खुशी लागत हेवे।

सचमुच यह अद्भुत पल हकीकत और यकीन से परे है । जब कोई मुख्यमंत्री एक साधारण गरीब किसान के घर पहुंच कर आत्मीयता के साथ भोजन करें। वह भी बिना किसी तामझाम और फाइव स्टार के लजीज भोजन के बिना । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की यही अंदाज सबसे खास है ।

वह निरंतर छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति के अनुकूल सहज, सादगी से जीवनयापन करने में यकीन रखते हैं । साथ ही मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी बोली में लोगों से संवाद कर दिल में बस जाते हैं । जो कोई भी मुख्यमंत्री से एक बार मिल लेते हैं । वह उन्हें भूल नहीं पाते । इन सबके चलते प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री को अपना काका मानते हैं।