कुपोषण से जंग : सतत देखभाल से सुपोषित हुई कृषा,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा सतत गृहभेंट कर किया जा रहा जागरूक



अंडा। महिला एवं बाल विकास जिला दुर्ग  कुपोषण से सुपोषण की ओर अग्रसर है विभाग द्वारा कुपोषण को कम करने के लिए समुदाय में पोषण संबंधी जागरूकता आए इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है जिसमें सभी कुपोषण मुक्ति के चयनित ग्राम पंचायतों में सतत् गृहभेट आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है ।अजय कुमार साहू जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी जिला दुर्ग ने बताया कि कुपोषण मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान से लोगों में जागरूकता आ रही है कई स्थानों पर चिप्स , कुरकुरे और अन्य प्रकार के पैकेट वाले खाद्य पदार्थ कुपोषित बच्चों के सेहत को खराब कर रहे है यह जानकारी परिवारों को होने पर अब धीरे धीरे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे है । ऐसी ही कहानी परियोजना दुर्ग ग्रामीण अंतर्गत सेक्टर रसमड़ा  के ग्राम गनियारी के आंगनबाड़ी केंद्र 01 की कुपोषित बालिका  कृषा ठाकुर उम्र 2 वर्ष 6 माह की है जो की मध्यम कुपोषित में थी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता  जब गृहभेट में गई तो उसने देखा की बालिका को बाहरी पैकेट वाले फूड खाने की आदत थी इस कारण से उसका वजन नहीं बढ़ रहा था और उसे सामान्य में आने के लिए 800 ग्राम की कमी थी।

फिर कार्यकर्ता मिथिलेश देवदास नियमित गृहभेंट करके खान-पान संबंधी सलाह दी और सबसे पहले बाहर के पैकेट वाले चिप्स और अन्य खाद्य पदार्थों को न खिलाने की समझाइश दी।गृहभेट के दौरान शशि रैदास पर्यवेक्षक द्वारा घर के बने हुए भोजन, रेडी टू ईट का नियमित उपयोग ,अंकुरित अनाज, चना गुड़ मूंगफली और मौसमी फल को शामिल कराया गया ।महिला बाल विकास विभाग द्वारा दिए गए डाइट चार्ट को पढ़ाकर समझाया और घर वालों को इसका नियमित पालन करने के लिए कहा गया। बच्चे की मां ने कार्यकर्ता की सलाह को मानते हुए सभी उपाय अपनाएं । बाल संदर्भ योजना का लाभ भी भी दिलाया गया  नियमित दवाई भी पिलाई गई । 

कार्यकर्ता द्वारा नियमित गृहभेंट कर निगरानी की गई । 4 माह तक लगातार प्रयास से कृषा का वजन 9.2 से बढ़कर 10.2 किलोग्राम हो गया । सामान्य में आने से बालिका की माता को बहुत खुशी हुई उसने यह बात एक अन्य बालक मितांशु साहू की माता को भी बताया तो वह भी प्रेरित होकर कार्यकर्ता द्वारा बताए गए इन समझाईस का पालन करने लगी अभी मितांशु को सामान्य में आने के लिए सिर्फ 200 ग्राम की जरूरत है। इस प्रकार परिवारों की प्रेरणा से अन्य परिवार भी अपने बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए एक जुट हो रहे है ।