विभागीय लापरवाही के चलते खेलकूद से वंचित रह गईं जिले की महिला खिलाड़ी

आशीष दास

कोंडागांव/फरसगांव । जिला प्रशासन व खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय 25 वर्ष तक महिला खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन आदर्श विद्यालय फरसगांव के मैदान में किया गया। उक्त खेल स्पर्धा में युवा कल्याण विभाग की लापवाही से जिले भर के उम्दा महिला खिलाड़ी जिला स्तरीय महिला खेलकूद स्पर्धा में शामिल होने से वंचित रह गईं। अधिकारी की उदासीनता और महज खानापूर्ति के लिए जिले के विकास खंडों से चयनित कुछ चुनिंदा स्कूलों से बालिकाओं को टीम बनाकर जिला स्तरीय स्पर्धा सम्पन्न करा दिया गया। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी की भूमिका को लेकर महिला खिलाड़ियों में नाराजगी देखी गई है।

लोगों में चर्चा का विषय-

वहीं दूसरी ओर अधिकारी की मनमर्जी से विभाग की छबि धूमिल होने की चर्चा रही है साथ ही कुछ लोगों का कहना था कि खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा जिले के महिला खिलाड़ियों को आगे लाकर उचित मंच देना विभाग की पहली प्राथमिकता है। ऐसे महिलाओं के खेल स्पर्धा में स्कूली बालिकाएं जो पहले से ही स्कूलों में खेलते हैं उनका खेल करवाना वो भी बगैर प्रचार प्रसार के विभाग पर उंगली उठना लाजमी है। जिला स्तर के खेल में दर्शकों के भीड़ को देखते हुए ऐसा भी चर्चा रहा कि इसे ज्यादा दर्शकों का भीड़ संकुल स्तरीय खेल में होता है इससे साफ जाहिर होता है कि इस जिला स्तरीय महिला स्पर्धा का प्रचार प्रसार नहीं हुआ।

प्रचार-प्रसार के अभाव में खुली स्पर्धा से वंचित रह गए महिलाएं-

खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा 25 वर्ष तक की महिला खिलाड़ियों को खेल का अवसर प्रदान किया जाता है। यह स्पर्धा खुली स्पर्धा होती है। अर्थात स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं से लेकर नहीं पढ़ने वाली या कामकाजी महिलाएं भी स्पर्धा में हिस्सा ले सकतीं हैं। खेल स्पर्धा का सारा खर्च खेल एवं युवा कल्याण विभाग वहन करता है। इस बार महिला खेलकूद के अंतर्गत कबड्डी, वॉलीबाल, लंबी कूद, ऊंची कूद, रस्सा खींच,भाला फेंक गोला फेंक, रिले रेस, की जिला स्तरीय स्पर्धा 13 नवंबर को आदर्श विद्यालय फरसगांव खेल मैदान में आयोजित की गई थी। लेकिन कोई भी महिला खिलाडियों को इस खेल में भाग लेने का मौका नहीं मिला। इस तरह खेल विभाग की लापरवाही से विभाग की फजीहत हो गई।

बालिकाओं की कबड्डी खेल करवाते दिखे पुरुष पीटीआई-

लोगों में यह भी चर्चा का विषय रहा कि बड़े बालिकाओं के कबड्डी जैसे संवेदनशील खेल में पुरुष पीटीआई द्वारा करवाया जा रहा था जबकि बालिकाओं का कबड्डी ऐसा खेल है जिसमें बालिकाओं के कपड़े फट भी सकते हैं और पुरुष शिक्षकों के बीच यह लज्जा का विषय बन जा सकता है। जबकि खेल में महिला पीटीआई रहने के बावजूद पुरुष पीटीआई से खेल करवाना ताज्जुब की बात है।

प्रचार प्रसार को जरूरी नहीं समझा गया-

प्रतियोगिता के आयोजन में सहयोग के लिए प्रचार प्रसार की भी जरूरत नहीं समझा गया। कोई पंचायतों को इसकी जानकारी नहीं दी गई, तो महिलाएं आएंगे कैसे ? उन्हें तो पता भी नहीं कि आज जिला स्तरीय कार्यक्रम फरसगांव में है। खेल विभाग को खिलाड़ियों से नहीं बल्कि फंड से लेना-देना है। इसलिए खिलाड़ी व खेल की ये दुर्दशा है। इस तरह जिला स्तरीय स्पर्धा में महिलाओं का भाग नहीं लेना दुर्भाग्यजनक है।

क्या कहते हैं खेल अधिकारी-

इस विषय पर खेल युवा कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एसआर मरकाम से प्रचार प्रसार के बारे में बात करने पर उन्होंने कहा कि विकासखंड से जो बच्चे चयनित होकर आए थे उन्हीं बच्चों का खेल करवाया गया। महिलाओं के खेल स्पर्धा में बालिकाओं को खिलवाने के बात पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वहीं पुरुष पीटीआई द्वारा बालिकाओं का कबड्डी खेल करवाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि महिला पीटीआई का ड्यूटी लगा हुआ था इतना कहते हुए चुप हो गए।