कार्यकर्ता की मेहनत रंग लाई, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से वेदांत हुआ सुपोषित

दुर्गग्रामीण । छग शासन की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सार्थक परिणाम अब बच्चो में दिखाई दे रहे बच्चे धीरे धीरे कुपोषण के दुष्प्रभाव से धीरे धीरे निकल रहे है । अजय कुमार साहू बाल विकास परियोजना अधिकारी दुर्ग ग्रामीण ने बताया कि 2 अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया है । इस अभियान के तीन चरणों मे कुल 3010 कुपोषित बच्चो में से 1407 बच्चो को सुपोषण की श्रेणी में लाया जा चुका है । आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ,सहायिका के विशेष प्रयास ग्राम कोनारी के गंभीर कुपोषित बच्चा वेदांत ठाकुर को सुपोषित किया । वेदांत के घर की हालत ऐसी थी कि घर में माता पिता सबेरे काम में चले जाते थे घर में एक विकलांग बुआ रहती थी जो कि ज्यादा चल नहीं सकती थी ।माता सबेरे खाना बना कर मनरेगा में जाती थी पर खिलाने वाला कोई नहीं होता ऐसे में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शाष्ट चंद्राकर और सहायिका टोमेश्वरी ने इस बच्चे की जिम्मेदारी ली । जैसे ही गर्म भोजन केन्द्र में बनता सहायिका टिफिन ले जाकर बच्चे को खिला कर आती । शाम को चिक्की कार्यकर्ता खिला कर आती । शाम को ही ग्रह भेंट कर माता पिता को साफ सफाई, वजन नहीं बढ़ने का कारण, गर्म और पौष्टिक भोजन खिलाने, आयरन सिरप पिलाने समझाइश देती रही । तीन बार बालसंदर्भ शिविर और पोषण पुनर्वास केंद्र में स्वास्थ्य जांच भी करवाया गया । दवाई पिलाने की जिम्मेदारी भी कार्यकर्ता द्वारा ही ली गई जिससे समय पर दवाई का असर हो सके । कार्यकर्ता और सहायिका घर जाकर पौष्टिक लड्डू भी बना कर डिब्बे में भरकर शाम को नियमित खिलाने की समझाइस बार बार देती रही । घर में चेक लिस्ट चस्पा कर उन्हें कब, क्या , कितना खिलाना है ये भी समझाइश देती रही । फिर भी अपेक्षित वजन नहीं बढ़ा तो देवकी साहू पर्यवेक्षक ने पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करने की सलाह दी पर वेदांत के पिता जी तैयार नही हुए । तो पर्यवेक्षक द्वारा पंचायत की बैठक में सभी जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में उसे समझाया गया कि आप अपने बच्चे की अपने जैसे मत बनाओ । कुपोषण के दुष्परिणाम के बारे में सरपंच सचिव ने भी समझाया तो वह तैयार हो गया और दूसरे दिन ही अपनी पत्नी को काम में ना भेजकर पोषण पुनर्वास केंद्र दुर्ग जाने के लिए कहा । कार्यकर्ता के साथ जाकर 29.9.21 बच्चे को भर्ती कराया गया 15 दिन में उसका वजन 10.500 हो गया ।बच्चे की माता भी इन 15 दिनों में बच्चे के खान पान और साफ सफाई की आश्यकताओं को समझा । वापस आने के बाद माता पिता बच्चे को अच्छे से रखने लगे । उसके पिता अब नियमित केन्द्र लाकर खाना खिलाते है । सहायिका भी उस बच्चे को अपने देखरेख में गर्म भोजन में तेल डालकर, ज्यादा दाल के साथ खिलाती है जाते समय उसे एक बार और रेडी टू ईट का एक टुकड़ा हलवा जरूर साथ में देती हैं । आज कार्यकर्ता और सहायिका की मेहनत और सजगता से वेदांत 11.700 का सामान्य बच्चा हैं । अब उसके पिता हर माह वजन कराने के बाद वजन और ग्रेड जरूर पूछते हैं ।माता पिता कार्यकर्ता के काम से बहुत खुश है ।