World No Tobacco Day: छत्तीसगढ़ के 19 हजार से ज्यादा शैक्षणिक संस्थान घोषित हुए तंबाकू मुक्त, अब ये टारगेट

World No Tobacco Day:  विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर 31 मई को छत्तीसगढ़ में तंबाकू सेवन की सामाजिक, आर्थिक एवं स्वास्थ्यगत हानियों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर 31 मई को छत्तीसगढ़ में तंबाकू सेवन की सामाजिक, आर्थिक एवं स्वास्थ्यगत हानियों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इस वर्ष की थीम “अपील का पर्दाफाश: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को बेनकाब करना” रखी गई है, जो युवाओं को निशाना बनाकर किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों और प्रचार-प्रसार की नीतियों को उजागर करने पर केंद्रित है। राज्य के 19 हजार से ज्यादा शैक्षणिक संस्थान तंबाकू मुक्त घोषित हो चुके हैं। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों को तंबाकूमुक्त बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि सभी शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य संस्थानों को 100 प्रतिशत तंबाकू मुक्त घोषित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में डिजिटल निगरानी प्रणाली का उपयोग कर पारदर्शिता एवं कार्यक्षमता बढ़ाई जाएगी। उन्होंने समाज के सभी वर्गों, विभागों और शैक्षणिक संस्थानों से इस अभियान में सक्रिय सहभागिता की अपील की।

हर जिले की 5 ग्राम पंचायतों को धूम्रपान मुक्त घोषित करने की पहल शुरू की गई है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर रोक लगाने हेतु सतत कार्यवाही की जा रही है। वर्ष 2024-25 में COTPA के उल्लंघन पर 10221 व्यक्तियों पर कार्रवाई करते हुए ₹12,98,010 का जुर्माना वसूला गया है। साथ ही, सभी जिला अस्पतालों में तंबाकू परामर्श केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जो प्रभावित व्यक्तियों को परामर्श और चिकित्सकीय सहायता प्रदान कर रहे हैं।

चिंताजनक हैं तंबाकू सेवन के आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष तंबाकू सेवन के कारण लगभग 13.5 लाख लोगों की असमय मृत्यु होती है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या में से 39.1 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, जबकि 21.9 प्रतिशत लोग कार्यस्थलों पर भी इसका उपयोग करते पाए गए हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे तंबाकू उत्पादों की आसान उपलब्धता और लुभावने प्रचार जिम्मेदार हैं।

राज्य सरकार की सक्रिय तंबाकू नियंत्रण नीति
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 के तहत तंबाकू नियंत्रण के लिए जिला स्तर पर निरंतर अभियान चलाए जा रहे हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि सभी शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य संस्थानों को 100 प्रतिशत तंबाकू मुक्त घोषित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में डिजिटल निगरानी प्रणाली का उपयोग कर पारदर्शिता एवं कार्यक्षमता बढ़ाई जाएगी। उन्होंने समाज के सभी वर्गों, विभागों और शैक्षणिक संस्थानों से इस अभियान में सक्रिय सहभागिता की अपील की।

उन्होंने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से यह स्पष्ट है कि राज्य प्रशासन तंबाकू नियंत्रण को लेकर गंभीर है और जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिये निरंतर प्रयासरत है। युवाओं और समाज के सभी वर्गों को इस अभियान में सम्मिलित होकर एक स्वस्थ और तंबाकू मुक्त समाज के निर्माण में सहयोग देना चाहिए।

स्वास्थ्य सेवाएं की आयुक्त सह संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि तंबाकू का धुआं केवल उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि आस-पास के लोगों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध के नियमों को और अधिक सख्ती से लागू किया जाएगा और भविष्य में प्रवर्तन कार्रवाइयों को और कठोर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

बता दें कि तंबाकू के कारण सेहत को होने वाले नुकसान, बीमारियों के बढ़ते खतरे के बारे में लोगों को जागरूक करने और तंबाकू छोड़ने को लेकर लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।

तंबाकू और इसके कारण होने वाली दिक्कतें

क्या हम सिर्फ एक दिन तंबाकू पर चर्चा करके उस जहर की गंभीरता समझ सकते हैं जो हर रोज हजारों जिंदगियां निगल रहा है? विशेष रूप से भारत में तंबाकू के सेवन से जुड़ा मुंह का कैंसर एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरएस)  के अनुसार, सभी प्रकार के तंबाकू में कैंसरजन्य तत्व पाए जाते हैं। इनमें एन-नाइट्रोसामाइन और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे रसायन शामिल हैं, जो डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं। भारत में पाए जाने वाले मुंह के कैंसर के लगभग 90% मामले तंबाकू सेवन से जुड़े होते हैं।

हर साल मुंह के कैंसर के 1 लाख से ज्यादा मामले
आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत में हर साल एक लाख से ज्यादा लोग मुंह के कैंसर से ग्रस्त होते हैं। पुरुषों में यह दूसरा सबसे आम कैंसर है। ग्रामीण क्षेत्रों में गुटखा की सुलभता और कम कीमत इस संकट को और गहरा बना रही है।

तंबाकू के कारण स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी बोझ भी पड़ता है। साल 2022 में भारत ने तंबाकू से होने वाले रोगों पर ₹77,000 करोड़ से अधिक खर्च किए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह स्पष्ट नहीं हैं कि तंबाकू या धूम्रपान से मुंह का कैंसर होने में कितने वर्ष लग सकते हैं, लेकिन ओरल कैंसर के लिए प्रमुख जोखिम कारक जरूर है। धूम्रपान करने से व्यक्ति के ओरल कैंसर का जोखिम छह गुना बढ़ जाता है। अच्छी बात ये है कि अगर आप तंबाकू-धूम्रपान छोड़ देते हैं तो इसके खतरे को काफी कम कर सकते हैं।


तंबाकू छोड़ने का आज ही लें फैसला

अध्ययनों से पता चलता है कि धूम्रपान के बिना सिर्फ 12 घंटे बिताने के बाद से ही शरीर अतिरिक्त कार्बन मोनोऑक्साइड को बाहर निकालना शुरू कर देता है। कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर सामान्य होने पर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ने लगता है।
लगभग 2 सप्ताह के बाद रक्त संचार में सुधार होने लगता है। हृदय और मांसपेशियों में रक्त का संचार ठीक हो जाता है साथ ही फेफड़ों की कार्यक्षमता में भी सुधार होने लगता है।
एक महीने तक धूम्रपान छोड़ने से खांसी और सांस लेने में तकलीफ कम हो जाती है।
वहीं एक साल तक धूम्रपान न करने से दिल का दौरा पड़ने और कोरोनरी हृदय रोग का खतरा धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों की तुलना में आधा हो जाता है।