योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का 128 साल की उम्र में निधन…जानें कौन थे शिवानंद बाबा

Shivanand Baba Passed Away: वाराणसी के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का 128 साल की उम्र में निधन हो गया। तीन दिन से BHU के जेट्रिक वार्ड में एडमिट थे। शनिवार (3 मई) की देर रात अंतिम सांस ली। सोमवार को अंतिम संस्कार किया जा जाएगा। 

स्वामी शिवानंद बाबा पद्मश्री से सम्मानित थे। योग और साधना उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा था। 128 साल की उम्र भी वह कठिन साधना करते थे। 

स्वामी शिवानंद बाबा का जन्म 8 अगस्त 1896 को बंगाल के श्रीहट्टी जिले में हुआ था। भोजन के अभाव में माता पिता की मौत हो गई थी, जिस कारण वह हमेशा आधा पेट भोजन ही करते थे। 

भीख मांगते थे माता-पिता
बांग्लादेश के हरिपुर गांव निवासी ब्राह्मण परिवार में जन्मे स्वामी शिवानंद बाबा का बचपन काफी चुनौतीपूर्ण था। उनके परिवार में माता-पिता और बड़ी बहन समेत चार लोग थे। माता-पिता भिक्षा मांगकर गुजारा करते थे।

4 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर 
घर में खाने तक के पैसे नहीं थे इसलिए मां-बाप को शिवानंद को 4 साल की उम्र में ओंकारनंद गोस्वामी को समर्पित कर दिया था। गुरु के पास रहकर ही शिक्षा ली। 

गरीबों को दान करते थे आधा भोजन 
माता-पिता के निधन के बाद बाबा शिवानंद ने ज्ञान और आध्यात्म की राह चुनी। बचपन में अक्सर खाली पेट रहते थे। इसलिए 6 साल की उम्र में आधा पेट भोजन करने और आधा अन्न गरीबों को दान करने का संकल्प लिया। ताकि, भोजन के अभाव में किसी की मौत न हो।  

34 साल तक किया विश्व भ्रमण 
बाबा शिवानंद 6 साल की उम्र से योग करने लगे थे। गुरु के निर्देश पर 34 साल तक अलग-अलग देशों की यात्राएं की। आजादी के समय विदेशी नागरिकों को योग सिखाकर भरण-पोषण किया, लेकिन 1977 में वृंदावन आ गए। यहां रहते हुए पूरे भारत भ्रमण किया। फिर वाराणसी में रहने लगे। वाराणसी में उन्हें काफी सुकून मिलता था। 

बाबा शिवानंद के दीर्घायु जीवन का राज 

  • बाबा शिवानंद की सेहत और दीर्घायु जीवन का राज उनकी सादगी पूर्ण दिनचर्या में छिपा है। हर दिन सुबह 3 बजे उठकर करीब 1 घंटे योग करते थे। दिन में तीन बार 3 मिनट सर्वांगासन, एक मिनट शवासन, पवन मुक्तासन समेत कई अन्य योग आसान करते थे। 
  • गर्मी हो या ठंडी बाबा शिवानंद रोजाना सुबह-शाम ठंडे पानी से नहाते थे। रोजाना 30 सीढ़ियां दो-बार उतरना चढ़ना और बालकनी में चटाई बिछाकर सोना उनका रूटीन बन गया था। तकिया के रूप में लकड़ी के स्लैब इस्तेमाल करते थे। 
  • बर्तन और कपड़े धोना और कमरे की सफाई सहित अपने सारे काम खुद ही करते थे। प्रचंड गर्मी में भी कभी AC और ठंड में ब्लोअर का इस्तेमाल नहीं किया। 
  • बाबा शिवानंद ने सुख-सुविधाओं से दूर सादा जीवन जिया है। फल और दूध नहीं खाते थे। कम नमक वाला उबला भोजन करते थे। रात में जौ की दलिया, आलू का चोखा और उबली सब्जी खाकर 9 बजे सो जाते थे।
  • सर्दी, खांसी और बुखार जैसी सीजनल बीमारी भी उनसे दूर रहती। उन्होंने विवाह भी नहीं किया था।