कवि व रचनाकार- वेदनारायण (राज)ठाकुर
ऐ उम्र की ढलान,अब तो रूक जा
क्यों मुझे यूं थका रही…
पल पल यूं मुझे थकाना,
तुमको क्यों भाता है।
नींद नहीं आता क्या तुझको,
पल- पल यूं तड़पाता है।

बेटा बहु ने नाता तोड़ा,
पत्नि ने साथ छोड़ दिया।
इस उम्र के कांटों से मैने,
पता नही क्यों नाता जोड़ लिया।
मेरे पैर थक गएचलने से उम्र थक गई___सहने से
अब मुझसे नहीं होता,
अब मुझसे नहीं होता।
लोगो का दिखावा देख लिया,
उनकी सच्चाई जान लिया।
जिंदगी से थका नही,
मगर उनकी असलियत पहचान गया ।
जिंदगी थी आसान,
अब रही सिर्फ नींद की कमी।
ऐ जिंदगी अब तो रूक जा,
अब नही सहा जाता यह नमीं।
जिंदगी से न हारा हूं, न हारूंगा।
मगर थक चुका हूं, तुझसे
ऐ जिंदगी तु जरा सा मूझपे अहसान कर…
कब तक साथ देगा तु मेरा,
अब तो मुझको रिहा कर।
जिंदगी का दर्द अब
मुझसे नहीं संवरता है,
जिंदगी का बोझ अब,
मुझसे नहीं संभलता है।
आप सभी के प्रेम का अभिलाषी
वेदनारायण ठाकुर (राज)
ग्राम – तर्रा (पाटन)
Mo.6268830757