काव्य संग्रह ‘सपनों के स्वर’ का, विमोचन, हिन्दी साहित्य समिति पाटन की मंच पर जुटे साहित्यकार
पाटन। मंच पर अगर नाटक दृश्य माध्यम है तो संगोष्ठी श्रव्य माध्यम, लेकिन कविता अपने लय के कारण दृश्य के साथ श्रव्य माध्यम भी है और साहित्य जगत की सर्वाधिक.